दूसरों के लिए नही बल्कि खुद के लिए लोगो को माफ करें और आगे बढ़ जाये…


किसी को उसकी गलती के लिए माफ कर देना आसान नहीं होता है । लेकिन जाने अनजाने में की गई दूसरो की गलतियों के लिए उसे माफ कर दें और आगे बढ़ जाए तो इससे उस इंसान से ज्यादा खुद हमें अच्छा महसूस होता है..! 

आज के समय में हमारे बर्दाश्त करने की क्षमता इतनी ज्यादा कमजोर हो चुकी है कि एक अनजान शख्स भी हमे आसानी से तकलीफ पहुंचा सकता है । अक्सर होता है कि हम अपने परिजनों या फिर किसी बाहर वाले शख्स की किसी बात से हर्ट हो जाते हैं और फिर हम उसी बात के बारे में सोचने लग जाते हैं और तरह-तरह के तमाम विचार हमारे दिमाग में आने लगते हैं, जो एक तरह से फालतू होते हैं, ज्यादातर उन विचारों हमारी जिंदगी में कोई अहमियत होती ही नहीं है और हम इस बात पर ध्यान ही नहीं देते और अपना घंटों समय इसी हम बर्बाद कर देते हैं । जरूरत है कि इन चीजों/बातों को जो बीत चुका है जिसे बदल नही सकते जो जाने अनजाने ही गई, उन्हें माफ कर दिया जाए, क्योंकि फालतू में फिजूल के विचार दिमाग में आने से किसी और का नहीं बल्कि खुद हमारा ही नुकसान होता है, मूड खराब होता है, बुरा महसूस होता है और मन भी किसी काम में नहीं लग पाता । लेकिन दूसरों को माफ करने के लिए साहस की जरूरत होती है । इतना आसान भी नहीं होता है किसी को माफ कर देना । लेकिन जो लोग माफ कर देते हैं वो वाकई में महान होते हैं । इस संदर्भ में गांधी जी ने कहा था “एक कमजोर व्यक्ति कभी माफ नहीं कर सकता माफ करना तो ताकतवर लोगो की विशेषता होती है” ।
इसलिए जिंदगी में माफ करने के महत्व को समझना बेहद जरूरी है । पर आखिर माफ करे ही क्यो ? सबसे पहला सवाल यही आता है कि हम किसी को क्यों माफ करें ? जबकि फला व्यक्ति ने अपने काम से या फिर अपनी बातों से हमें तकलीफ पहुंचाई है ?

चलिए जानते हैं आखिर क्यों हम दूसरों को माफ करके आगे बढ़े..


खुद के लिए माफ करें
अगर आपसे कहा जाए कि किसी शख्स को माफ कर दीजिए उसकी गलतियों के लिए तो सबसे पहले सवाल ये उठता है कि हमारे साथ फला शख्स ने इतना बुरा किया उसके लिए हम इतनी आसानी से उसे क्यों और कैसे  माफ कर दें ? 

अगर कोई गलती करता है तो उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए । लेकिन हम दूसरों के बारे में तो नहीं जानते लेकिन हम सब खुद के बारे में जानते हैं । किसी को उसकी जाने अनजाने में की गई गलती के लिये माफ न करके हम खुद को ही सजा दे रहे होते हैं सोच सोच कर खुद को ही हर्ट कर रहे होते हैं । सोचिए जरा उस घटना/बात को सोचकर सबसे ज्यादा परेशान कौन हो रहा होता है ? हम खुद ही हो रहे होते हैं, है न…। इसलिए अगर कोई भी शख्स तकलीफ दे तो उसे उसके लिए नहीं बल्कि खुद अपने लिए उसे माफ कर देना चाहिए ।

“उस इंसान को जिसने आप को तकलीफ पहुचाई है, उसको माफ कर देने से उससे ज्यादा अच्छा खुद आप को महसूस होगा”- चेतन भगत (2 स्टेस्ट्स) 

जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करे –   यदि हम मे से प्रत्येक व्यक्ति एक ही जैसा सोचे, एक जैसा खाए और एक ही जैसे जिंदगी जिए तो दुनिया में कुछ भी इंटरेस्टिंग नहीं रह जाएगा जैसा कि अभी है । भले ही हम इस विशिष्टता (uniqueness) को कभी नहीं समझ सकते । हम सोच होती हैं कि सिर्फ हमारा तरीका ही सही है, लेकिन हमें दूसरे सभी लोगों की विशेषता और विशिष्टता(uniqueness) को समझना होगा । यह हमें उन्हें समझने में मदद भी करेगा भले ही दूसरा शख्स हमारे उम्मीदों के मुताबिक न हो ।

दूसरों के नज़रिए से भी देखे- अगर हमें कोई तकलीफ देता (हर्ट करता) है तो इसका हमेशा यह मतलब नही है कि उसके ऐसे इरादे थे । कभी कभी बातों को दूसरों के नजरिए को समझ पाना और जानना बहुत मुश्किल होता है । हम यह कभी नहीं जान सकते कि उसकी जिंदगी में क्या कुछ हो रहा है ? हर व्यक्ति की प्राथमिकताएं अलग होती हैं । एक बार उस व्यक्ति की जगह खुद को रख कर सोचे । यह हमें उस दूसरे व्यक्ति को समझने में मदद करेगा । फिर उसने आपके साथ जो कुछ गलत किया है इससे उसे माफ करने में मदद मिलेगी । इजैक फ्रीडमैन ने बहुत ही सुंदर बात कही है कि

“Forgiveness is the sweetest revenge (माफ कर देना सबसे अच्छा बदला है )”.

खुद को माफ कर दे – जिंदगी में कभी कभी हम कुछ गलतियां कर जाते हैं और हमे अपनी गलती का एहसास बहुत बाद में होता है और तब हम गिल्टी(guilty) महसूस करते हैं और सारी जिंदगी उस गिल्ट(guilt) में रहते है । हो सकता है कि कभी हमने किसी के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया हो जिससे किसी को काफी तकलीफ हुई हो और अब हम उससे संपर्क में न हो तो स्वाभाविक है उससे माफी मांगने का मौका नहीं मिलेगा । ऐसे में सारी जिंदगी से हमें पछतावा करने से बेहतर है आगे जिंदगी में ऐसी गलती न दोहराए और खुद को माफ कर दे ।

“Forgive yourself. Life still hold a new chance to become a better person”-     Lailah Gifty Akita 

गहरी लम्बी साँसे ले – बहुत बार होता है कि दिमाग पर हमारा कंट्रोल नहीं होता है ऐसे में किसी को माफ करना कभी आसान नहीं होता है । लेकिन अगर हम माफ नहीं करेंगे तो दूसरों की उन बातों और गलतियों को सोचकर हम अपनी ताकत, सुकून और वक्त ही बर्बाद करेंगे । क्या हम वास्तव में फालतू के विचारों को सोचकर अपनी एनर्जी और टाइम बर्बाद करना चाहते हैं ? नहीं न.. तो सिंपल सा आईडिया है । लंबी गहरी सांसे ले..Breathe in breathe out.. . इससे राहत जरूर महसूस होगी ।

और फिर जिंदगी में हम अपने परिवार, दोस्त, सहकर्मी( colleagues) और अजनबियों से घिरे हुए हैं जो हमारी जिंदगी को अलग अलग तरह से प्रभावित करते हैं । कभी-कभी ये हमारी खुशियों की वजह बनते हैं तो कभी-कभी ये हमारी निराशा की भी वजह बनते हैं । ये कभी-कभी हमारी अपेक्षा के अनुसार व्यवहार नहीं करते हैं और कभी-कभी हम उनका मकसद नहीं जान रहे होते है । इसलिए छोटी-छोटी बातों को अपने खुशियों को दुख में बदलने से बेहतर है कि हम माफ करके जिंदगी में आगे बढ़ जाए मतलब उस बात को ही भूला दे । वैसे भी जिंदगी का मतलब किसी एक जगह ठहर जाना नहीं होता है । 

‘एक बार एक छोटी लड़की से पूछा गया कि माफ करना क्या है तो उसने बहुत ही खूबसूरत जवाब दिया – “माफ करना उस खुशबू की तरह है जो किसी फूल को तोड़ मरोड़ कर (कुचलने) पर निकलती है” ।’

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