क्या परेशानियाँ हैं
सबकी अपनी कहानियां हैंकहीं बेबसी ,तो कहीं मुफलिसी में बीतती जिंदगानियां हैंपर सबकी अपनी कहानियां हैं मुखौटों में बसते हों जब कई कई आड़े तिरछे मुखौटेहां,आखिरउनमें ही तो दफन फिरसबकी कारगुजारियां हैं गहरा समंदर भी जब खुद लगाता है गोतेहां,उसमे ही तो छिपी फिर,जिंदगी की दुश्वारियां हैं और कारवां कोशिशों का जब जारी हो अक्सरतब किश्ती को साहिल पर लाने …