क्या परेशानियाँ हैं

sabki apni pareshani hai

सबकी अपनी कहानियां हैंकहीं बेबसी ,तो कहीं मुफलिसी में बीतती जिंदगानियां हैंपर सबकी अपनी कहानियां हैं मुखौटों में बसते हों जब कई कई आड़े तिरछे मुखौटेहां,आखिरउनमें ही तो दफन फिरसबकी कारगुजारियां हैं गहरा समंदर भी जब खुद लगाता है गोतेहां,उसमे ही तो छिपी फिर,जिंदगी की दुश्वारियां हैं और कारवां कोशिशों का जब जारी हो अक्सरतब किश्ती को साहिल पर लाने …

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सपनों का हदों में बने रहना भी है जरूरी

सपनों का हदों में बने रहना भी तो है जरा जरूरीबंद सलाखों में जकड़े रहना उनकोभले फिर खुद की कितनी भी हो क्यों ना मजबूरी दुखती रग भी दुखने लग जाए जब पल छिनतब उम्मीदों की मटकी परप्रबल प्रहार भी तो हो जाए जरूरी स्वच्छंद क्षितिज पर गर मन भरने लगे हिलोरेतो परों को जरा नफासत से फिरकतरा जाना भी …

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उदासीनता/तटस्थता

इस संसार में सब कुछ क्षणिक है:तथाकथित आनंद भी क्षणिक,उत्साह भी क्षणिक और तो और निराशा हताशा और विषाद भी क्षणिक । आकर्षण भी क्षणिक, विद्वेष भी क्षणिक और दौड़ता भागता सरपट हाथों से रेत की माफिक फिसलता जाता समय भी क्षणिक। भयोत्पादक मनोभाव भी क्षणिक और सप्त अश्वों पर सवार मन के बेलगाम घुड़सवार भी क्षणिक । सारी ऋतुएं …

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जीवन प्रवाह

सब जीवन प्रवाह में हो गए हो जब इस कदर मशगूलकि विस्मृत कर डाला हो उन्होंने अन्य की जीवन धारा है अभी निरा प्रतिकूल मैथिली की पशु प्रवृत्ति भी जब लगने लगे जीवन के अनुकूलऔरमानुष जन्म को ही तुमने जब कर डाला हो निर्मूल भौतिकतावाद का समाहन जब आध्यात्म को करने लगा हो ज़रा स्थूल और जीवन के जख्म को …

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शायद मै रोबोट बन गया हूँ

शायद मैं रोबोट बन गया हूँ?बातों, जज़्बातों,वादों,इरादों और खयाली मुलाकातों से उन्मुक्त बन गया हूँ?तो फिरकोई तो बताये?क्या मैं रोबोट बन गया हूँ? मशीनी मिज़ाज़,मशीनी एहसासऔर खचपच करते कलपुर्जों सा अंदाज़,तो फिरकोई तो बताये ?क्या मैं रोबोट बन गया हूँ? कॉमा,पॉज,रिवाइंड,फॉरवर्ड के फीचर्स से युक्तनए जमाने का हाईटेक किचेन बन गया हूँ?तो फिरकोई तो बताये?क्या मैं रोबोट बन गया हूँ? …

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जिंदगी

एहसास भी है ज़िन्दगीअटूट उच्छवास (गहरी साँस)भी है जिंदगीज़रा सी नज़र जो चूकीतो पानी मे फिसले पांव सी है जिंदगी आशा भी है जिंदगीअभिलाषा भी है जिंदगीगर बालुओं से जो रस्सी बन पाएतो फिर उस अथक प्रयास सी भी है जिंदगी इठलाती भोर सी है जिंदगीढलती सांझ सी है जिंदगीहाथ थामे रखे जो फिसलन भरे सफर मेंउस शख्स की पहचान …

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अपना पिंकू(काल्पनिक)

पिंकू अब बड़ा हो गया हैआड़े तिरछे परिधानों को पहनने के तरीकों से रूबरू हो गया है हाँ, और क्यासूटेड- बूटेड लबादों को ओढ़करकाले पीले चश्मों से नाता जोड़करबटुए में नोटों की गड्डी मरोड़करबीते हुए कल को कोसों दूर छोड़करपिंकू अब बड़ा हो गया है सुनहरी चेन गले मे डालकरसात जन्मों के खूंटे में खुद को बांधकरअक्खड़ पुरुष प्रधानता को …

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ख्वाबों का दामन थामें रखना भी ज़रूरी है

ख्वाबों का दामन थामें रखना भी ज़रूरी हैपांवों को ज़मीं पर टिकाये रखना भी ज़रूरी हैकब टूट जाए कौन सा तारा,क्या पता?इसलिए आसमान पर नज़र बनाये रखना भी ज़रूरी है झुकना भी ज़रूरी हैलड़ना भी (मुकद्दर)ज़रूरी हैऔर आंच जब आये उसूलों परतो फिर,हदों को लांघ जाना भी ज़रूरी है चलना भी ज़रूरी हैउड़ना भी ज़रूरी हैपर तूफां के मंज़र में …

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जरा मुश्किल है..

‘न’ कह पाना भी ज़रा मुश्किल हैरज़ामंदी जता पाना भी बड़ा मुश्किल है गर एहसासों से भरा हो अरमानों का सफरतो फिर साँसों का संभल पाना भी ज़रा मुश्किल है ज़िन्दगी तो नायाब सफर है रिश्तों काउसमे समा जाना भी तो ज़रा मुश्किल है ज़ेहन के दरवाजों पर जब दस्तक देते हो बेइंतहा ख्यालों के सिलसिलेतो फिर, सबको गले लगा …

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कदमताल नही कर पा रहा हूँ शायद

कदमताल नही कर पा रहा हूँ शायदलड़खड़ाता ही जा रहा हूँ शायद दुनिया की दिखावटी रवायतों मेंखुद को अकेला पा रहा हूँ शायद मन कभी उदास भी तो हो सकता है न?आख़िर इंसान ही तो हूँ न शायद कदमताल करने की कोशिश कर तो रहा हूँ,परलड़खड़ाता ही जा रहा हूँ शायद सब कुछ समेट लेने की फिराक मेंजज़्बातों से हारता …

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