कर्तव्य पथ कहीं ज़िन्दगी बसर का जरिया मात्र बनकर न रह जाए,
इतना ही बस कि उसूलों पर आंच भी तो न आने पाए
मुश्किलात आती हैं और आती ही रहेंगी,
इसका मतलब ये थोड़ी न कि हम उनके आगे सर झुकाएं
माँ भारती के दामन में जन्म जब ले ही लिया है हमने,
तो ये भी तो कि उसका कर्ज़ हम कैसे चुकाएं
आज़ादी का ये महोत्सव मिला है बड़े जतन के बाद,
कुछ ऐसा तो करें कि उसका फ़र्ज़ भी हम निभा पाएं
कर्तव्य पथ मात्र जीवन बिताने का जरिया मात्र बनकर न रह जाये
कुछ तो सीखा होगा हुनर ज़िन्दगी में,
तो क्यूँ न ऐसा किया जाए कि उनको सामाजिक सरोकारों में आगे बढ़ाएं
आने वाली पीढ़ियां जब पूछेंगी हमसे, कि क्या किया
तो सर न झुकाना पड़े कुछ ऐसा भी तो संजो लिया जाए
कर्तव्य पथ मात्र जीवन बसर का ज़रिया मात्र बनकर न रह जाये
आओ आज़ादी के इस अमृत महोत्सव को हम कुछ इस अंदाज में मनाएँ कि माँ भारती का आँचल फूलों की खुशबू से सराबोर हो जाये ,
और भारत का जन-जन बस हँसे मुस्कुराये,बस हँसे मुस्कुराये
इस आज़ादी पर्व पर आओ मिलकर माँ भारती के आंचल को थोड़ा और रंगीन बनाये ,थोड़ा और रंगीन बनाये
ताकि भारत का जन-जन कर्तव्य पथ पर बस आगे बढ़ता ही जाए ,बस बढ़ता ही जाए
सब हँसे मुस्कुराएं
सब हँसे मुस्कुराएं
इसी आशा के साथ आज़ादी दिवस की पूर्व संध्या पर देश को समर्पित स्वरचित आभार संग वैभव
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