क्या परेशानियाँ हैं

सबकी अपनी कहानियां हैं
कहीं बेबसी ,तो कहीं मुफलिसी में बीतती जिंदगानियां हैं
पर सबकी अपनी कहानियां हैं

मुखौटों में बसते हों जब कई कई आड़े तिरछे मुखौटे
हां,आखिर
उनमें ही तो दफन फिर
सबकी कारगुजारियां हैं

गहरा समंदर भी जब खुद लगाता है गोते
हां,
उसमे ही तो छिपी फिर,जिंदगी की दुश्वारियां हैं

और कारवां कोशिशों का जब जारी हो अक्सर
तब किश्ती को साहिल पर लाने की हिमायती यहां फिर
सच्ची–झूठी दावेदारियां हैं

जख्म गहरे होंगे आखिर जितने फिर
मरहम की ख्वाहिशों की भी तो करनी पूरी खुमारियां हैं

जलजला सैलाब का मुखातिब होता रहता हो जब अक्सर
तब कयामत से निबटे जाने की फिर करनी पूरी तैयारियां हैं

और जिंदगी के सफर को गर बनाए रखना है मौजूं
तो सर (खुद के)को कलम करवाए जाने में फिर क्या परेशानियां हैं
क्या परेशानियां हैं…….

स्वरचित आभार संग
डॉ. वैभव🤔

Reference: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid02xb7SZZtVwDqB2dy7ssDfVCsjViz111KdUfPt2bdf4cRuFHcrS9GPtNUGbW7qLFryl&id=100013897126228&sfnsn=wiwspwa&mibextid=RUbZ1f

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