जरा मुश्किल है..

‘न’ कह पाना भी ज़रा मुश्किल है
रज़ामंदी जता पाना भी बड़ा मुश्किल है

गर एहसासों से भरा हो अरमानों का सफर
तो फिर साँसों का संभल पाना भी ज़रा मुश्किल है

ज़िन्दगी तो नायाब सफर है रिश्तों का
उसमे समा जाना भी तो ज़रा मुश्किल है

ज़ेहन के दरवाजों पर जब दस्तक देते हो बेइंतहा ख्यालों के सिलसिले
तो फिर, सबको गले लगा पाना भी तो ज़रा मुश्किल है

दरख्तों (पेड़) के साये में जब पल रहीं हो हज़ारों गहरी सांसें
तो शजरों से मुंह बिचकाना भी ज़रा मुश्किल है

पांव उखाड़ने में लगा हो जब सारा ज़माना
तो आंखों में ख्वाबों को भी संभाले रखना भी ज़रा मुश्किल है

नयनो में घुमड़ रही हो जब तीखी बिजली की स्याह रातें
तो नीर चक्षुओं को आहत कर पाना भी ज़रा मुश्किल है

मस्तक रेखाएं भी जब मंडरा मंडरा कर लगाने लगे दरियादिली की गुहार
तो पग पंकज को भी संभाले रख पाना भी ज़रा मुश्किल है

रूंधे हुए कंठ ने भी जब शंखनाद करने की ली हो ठान
तो तबले की थाप को भी संभाल पाना ज़रा मुश्किल है

और अंत मे,जब स्वर लहरियां भी करने लगे नित नए अनर्गल प्रलाप
तो सात सुरों को धागों में पिरो पाना भी ज़रा मुश्किल है

‘न’ कह पाना भी ज़रा मुश्किल है
रज़ामंदी जता पाना भी बड़ा मुश्किल है
हारे को हरा पाना भी ज़रा मुश्किल है
आगे बढ़ते जाना भी ज़रा मुश्किल है

Regards
Dr. Vaibhav🙏

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