अपने जीवन में सही दिशा का पता कैसे लगाएं

जीवन एक लंबी यात्रा है, जो चुनौतियों और अवसरों जैसे उतार चढ़ाव से भरी है। रास्ते में खो जाना आसान है, खासकर जब आप यह पता लगाने की कोशिश कर …

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What is Consistency | कंसिस्टेंसी क्या है? कामयाब होने के लिये इसे कैसे डेवेलप करे

What is Consistency

What is Consistency: यदि कोई एक सलाह आपको किसी को देना हो या खुद में सुधार लाने के लिए खुद को देना हो, तो फिर आप चाहे किसी भी फील्ड में क्यों न हो चाहे, किसी को अपना काम न पसंद ही क्यों न हो, चाहे आपको ऐसा लगता है कि आप टैलेंटेड हो या नही। कामयाबी के लिये सबसे कारगर और ताकतवर सलाह होगी कि अपने अंदर कंसिस्टेंसी (Consistency) लाइये। 

What is Consistency Meaning in Hindi – 

Consistency  का इतिहास बहुत इंटरेस्टिंग है। इसका प्रयोग आज से लगभग पंद्रह सौ साल पहले लैटिन भाषा में हुआ था। यह लैटिन भाषा से बना शब्द हैं। यह लैटिन के Consistere से बना है। जहां “con” का अर्थ “साथ मे” और “sistere”  का अर्थ “स्थिर रहना”, “दृढ़ रहना” है। 

 कंसिस्टेंसी का मतलब है कि जो भी छोटे से छोटा एक्शन या बदलाव जो हम लाना चाहते हैं, उसके साथ स्थिर बने रहना।

 बदलाव के लिये लिया गया एक्शन कितना भी छोटा क्यों न हो, अगर आपके पास कंसिस्टेंसी (Consistency)  है तो रिजल्ट आने लगते हैं और दूर से देखने पर लगता है कि जादू हो गया। 

कंसिस्टेंसी इतनी ताकतवर क्यों है? 

Consistency बहुत ज्यादा पावरफुल इसलिए होती है क्योंकि यह आईडेंटिटी शिफ्ट कर देती है। जब हम कुछ हरकतें/ काम किसी भी कारण से कंसिस्टेंसी के साथ करना सीखते हैं तो हमारे अंदर एक सुपर पावर (Super Power आ जाती है। इस सुपर पावर को ही हम विश्वास (Belief) कहते है और हमें खुद पर भरोसा हो जाता है कि मैं छोटे ही सही लेकिन अपने व्यवहार (Behaviour) से अपनी मर्जी से बदलाव ला सकता सकते है। खुद को दिशा/ डायरेक्शन दे सकते है।

उदाहरण के लिये अगर आप किसी 50 साल से अधिक उम्र के अंकल को, जो बहुत नशा बहुत करते हैं, उनको समझा कर देख लीजिए। उनसे कहिये की अंकल आप चाहे तो नशा करना छोड़ सकते हैं। आप उनका जवाब कुछ इस तरह से पायेंगे। वो कहेंगे बेटा इन सब चीजों से कुछ नहीं होगा, हमने भी दुनिया देख रखी है।

असल में यह माननीय अंकल भी कंसिस्टेंसी (Consistency) का ही शिकार हैं। जानते हुए भी नशा गलत आदत है, वह इसे बार बार कर के अनजाने में अपने अंदर कंसिस्टेंसी (Consistency) बना चुके होते हैं। उन्हें विश्वास हो चुका होता है कि वह कमजोर है और अपनी पुरानी आदतें बदल नहीं सकते। 

 मतलब साफ है कंसिस्टेंसी (Consistency) दो धारी तलवार की तरह ही है। अब हम बात करते है Consistency के Negative साइड पर.. अगर आपको किसी का जीवन खराब करना है तो उसे केवल एक चीज डिस्ट्रेक्शन (Distraction = लक्ष्य से भटकना) में परंपरागत बना दीजिए, बाकी वह अपना नुकसान खुद कर लेगा, जिंदगी भर दुखी रहेगा और आसपास भी सब को कष्ट देगा।

 Consistency

क्योंकि जब हम डिस्ट्रक्शन में होते हैं तो न केवल हम अपने कीमती समय को waste (नष्ट) करते हैं,  बल्कि हम अंदर से दुखी (Sad) भी होने लगते हैं। क्योंकि Distracted Mind is an Unhappy Mind.. अगर हमारे एक्शन में, उसके उद्देश्य में, कंसिस्टेंसी (Consistency) नहीं होती है तो हर दिन सोचना पड़ता है कि कहां से शुरू करें, और फिर पूरा दिन भटकते हुए निकल जाता है। 

ऐसी परिस्थिति में कोई कितना ही टैलेंटेड क्यों न हो पूरी एनर्जी केवल काम को शुरू करने में ही निकाल देगा। Energy खत्म तो हम कुछ खास कर ही नही पाएंगे और जब तक हम कुछ खास नही करते हैं तब तक हमें कोई फीडबैक (Feedback) नही मिलता है। हम कुछ सीख नहीं पाते हैं। 

जब तक आप अपने काम के प्रति सचेत हो कर नहीं सोचते हैं तब तक आप अपने अंदर के सोये हुए टैलेंट को बाहर निकाल ही नही सकते..! फिर न तो कॉन्फिडेंस आएगा और न ही सन्तुष्टि (Satisfaction) महसूस होगा।

Consistency की विशेषता – 

 कंसिस्टेंसी (Consistency) की सबसे बड़ी खासियत है मोमेंटम (Momentum) अगर आप से से कोई पूछें कि किसी कठिन एग्जाम के लिए लॉजिकल रीजनिंग मैथ के कांसेप्ट को क्लियर करना है तो सबसे पहले यही सलाह होगी कि किसी भी तरह की रिजनिंग लॉजिकल है, जिसे बार बार प्रैक्टिस कर के करना सीखना होगा। क्योकि इसमे हम कम समय में कुछ खास तरीके से सोच कर दिए गए ऑप्शन से आंसर का चुनाव करते हैं।

इसे एक दिन में नही सीखा जा सकता है। लेकिन अगर continue करेगे तो सीख जायेगे। क्योकि इसके पीछे मोमेंटम काम करता है। इसे सीखने के लिए इसको हमें छोटे-छोटे बैक थ्रो (Back Through) की जरूरत होती है। यहां छोटे-छोटे Back Through का मतलब है हम एक माइक्रो लेबर से दूसरे पर जंप करते हैं।

 जब हम कोई प्रॉब्लम बिना किसी मदद के अपने दिमाग में आने वाली तरीके से साफ करने की कोशिश करते हो या कभी कभार बहुत कठिन क्वेश्चन को कर लेते हो और फिर उसे दूसरे दिए गए तरीके से कंपेयर करके असरदार तरीके से सीखते हो तो उसे ब्रेक थ्रो (Back Through) कहते है। 

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